रविवार, 31 मई 2020

मन की गहराई - ज़िंदगी में मेरी, बस तेरा नाम है

                               'भावना'

                                           -मनीष प्रताप सिंह राजावत 

जिंदगी का सफर, एक अरमान है | 
प्यार इसको करो, ये तो मेहमान है | | 
धड़कनों में जिये, बंधनों  में बंधे | 
जैसे शदियों पुरानी, ये पहचान है|| 
प्यार इतना किया, होंठ खामोश हैं | 
गालों की शुर्खियाँ, मन तो मदहोश है || 
वक्त का फासला, अब भी अनजान है | 
वो मुबारक घड़ी, फिर मेहरबान है || 
साल के सारे दिन, बस तेरे नाम हैं | 
चाहतों का सफर, फिर कदरदान है || 
दुनिया वालो मुझे, आज रोको नहीं | 
आज महफिल मेरी, बस मेरे नाम है || 
अलहड़ बहती सरिता तुम, मै सागर का अंजाम हूँ | 
तुम सीने की धड़कन हो, मै उसका एक गान हूँ || 
तुम तो एक सवेरा हो, मै जिसकी ढलती शाम हूँ | 
तुम उस दीपक की बाती, जलने में जिसकी जान है || 
ये सफर जिंदगी, एक अरमान है | 
मैं तेरा जिस्म हूँ, तू मेरी जान है|| 
हमसफ़र तेरे बिन, न हो कोई सफर | 
आखरी सांस तक, बस ये अरमान है || 
गम की धुंधली छटा, या ख़ुशी की पवन है |
ज़िंदगी में मेरी, बस तेरा नाम है  || 


                                                                   

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